Press ESC to close

आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant): एक विस्तृत केस स्टडी

Spread the love

आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant): एक विस्तृत केस स्टडी

आईएनएस विक्रांत (IAC-1) भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत है, जो देश की तकनीकी क्षमता और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। यह अध्ययन इसके विकास, डिज़ाइन, क्षमताओं, संचालन और रणनीतिक महत्व पर केंद्रित है।

विकास और स्वदेशी महत्व

  • निर्माण और कमीशनिंग: आईएनएस विक्रांत का निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में हुआ। 2009 में इसकी कील रखी गई और सितंबर 2022 में इसे भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। निर्माण के दौरान कई तकनीकी चुनौतियाँ और लागत बढ़ोतरी हुई, जिससे इसकी कुल लागत लगभग ₹20,000 करोड़ रही।
  • स्वदेशी योगदान: इस पोत के 76% से अधिक हिस्से भारत में निर्मित हैं, जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान का प्रमाण है।

तकनीकी विशेषताएँ

विशेषताविवरण
विस्थापन43,000–45,000 टन (पूर्ण भार)
लंबाई262 मीटर
चौड़ाई62 मीटर
ड्राफ्ट8.4 मीटर
गति28–30 नॉट्स
रेंज7,500–8,000 समुद्री मील
चालक दल1,600 (एयर क्रू सहित)
विमान क्षमता40 (MiG-29K, MH-60R, ALH, LCA)
फ्लाइट डेक2.5 एकड़ (लगभग 12,500 वर्ग मीटर)
प्रणोदन4 गैस टर्बाइन, कुल 88 मेगावाट
अस्पताल16-बेड, 2 ऑपरेशन थिएटर, ICU, आइसोलेशन वार्ड
  • STOBAR सिस्टम: इसमें शॉर्ट टेक-ऑफ बट अरेस्टेड रिकवरी (STOBAR) सिस्टम है, जिसमें स्की-जंप से विमान उड़ान भरते हैं और अरेस्टर वायर से लैंड करते हैं।
  • रक्षा प्रणाली: इसमें बराक-1 और बराक-8 मिसाइल, ओटोब्रेडा 76 मिमी गन, और AK-630 CIWS जैसे आधुनिक हथियार लगे हैं।
  • सेंसर और रडार: MF-STAR AESA और Selex RAN-40L जैसे आधुनिक रडार लगे हैं, जो समुद्र और आकाश की निगरानी में सक्षम हैं।

संचालन और तैनाती

  • कमीशनिंग और प्रारंभिक संचालन: 2022 में कमीशनिंग के बाद, विक्रांत ने आवश्यक परीक्षण और अपग्रेड पूरे किए और 2024 में वेस्टर्न फ्लीट में शामिल हुआ।
  • कैरियर बैटल ग्रुप: विक्रांत, INS विक्रमादित्य के साथ, एक शक्तिशाली कैरियर बैटल ग्रुप बनाता है, जिसमें कोलकाता क्लास डिस्ट्रॉयर, तलवार क्लास फ्रिगेट और कलवरी क्लास पनडुब्बियाँ शामिल हैं।
  • हालिया घटनाक्रम: अप्रैल 2025 में विक्रांत को अरब सागर से हटाकर INS कदंबा नेवल बेस, कारवार में तैनात किया गया, जो भारत की बदलती समुद्री रणनीति को दर्शाता है।

रणनीतिक महत्व

  • क्षेत्रीय शक्ति प्रदर्शन: विक्रांत की तैनाती से भारत को हिंद महासागर क्षेत्र में शक्ति प्रदर्शन, समुद्री मार्गों की सुरक्षा और विरोधियों (विशेषकर पाकिस्तान और चीन) को रोकने की क्षमता मिलती है।
  • रणनीतिक लचीलापन: हालिया तैनाती में बदलाव से यह संकेत मिलता है कि भारत अपनी नौसैनिक रणनीति को व्यापक इंडो-पैसिफिक सुरक्षा और क्वाड देशों (अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) के साथ साझेदारी पर केंद्रित कर रहा है।
  • तकनीकी उपलब्धि: स्वदेशी डिज़ाइन और निर्माण के कारण भारत की शिपबिल्डिंग क्षमता में जबरदस्त वृद्धि हुई है।

तुलनात्मक विश्लेषण

पोत/क्लासदेशविस्थापन (टन)स्वदेशी निर्माण/डिज़ाइन
INS Vikrant (IAC-1)भारत43,000–45,000हाँ
INS Vikramadityaभारत44,500नहीं (रूसी)
Liaoningचीन58,600नहीं (सोवियत)
Charles de Gaulleफ्रांस42,000हाँ
Queen ElizabethUK65,000हाँ
Gerald R. FordUSA100,000हाँ

चुनौतियाँ और भविष्य

  • विमान अधिग्रहण: भारत, MiG-29K के स्थान पर 26 राफेल मरीन जेट्स खरीदने की प्रक्रिया में है।
  • ऑपरेशनल इंटीग्रेशन: विक्रांत की पूर्ण क्षमता के लिए निरंतर अपग्रेड और क्रू ट्रेनिंग आवश्यक है।
  • रणनीतिक विस्तार: भविष्य में INS विशाल जैसे नए विमानवाहक पोत भारत की नौसैनिक शक्ति को और बढ़ाएंगे।

निष्कर्ष

आईएनएस विक्रांत भारतीय नौसेना के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह न केवल तकनीकी और औद्योगिक आत्मनिर्भरता का प्रतीक है, बल्कि भारत के समुद्री सुरक्षा और क्षेत्रीय शक्ति संतुलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विक्रांत भारत की बढ़ती वैश्विक महत्वाकांक्षा और सुरक्षा रणनीति का मजबूत आधार है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *